Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3febe297a6cf4b3ea5efe436f2423cf7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रह-ए-तलब में बड़ी तुर्फ़गी के साथ चले - हुरमतुल इकराम कविता - Darsaal

रह-ए-तलब में बड़ी तुर्फ़गी के साथ चले

रह-ए-तलब में बड़ी तुर्फ़गी के साथ चले

किसी के साथ न थे और सभी के साथ चले

न हम-सफ़र कोई पाया न राहबर चाहा

वो राह-रौ हैं कि हम ज़िंदगी के साथ चले

फ़रेब ख़ुद को दिए और ख़ुद ही पछताए

किसी का जो न हुआ हम उसी के साथ चले

कहो कि होती है इक चीज़ सर-बुलंदी भी

कहा ये किस ने कि हम सर-कशी के साथ चले

रहे शरीक-ए-सफ़र ए'तिमाद-ए-हम-क़दमी

ये क्या ज़रूर है कोई किसी के साथ चले

शिकस्ता-पा ही सही रहरवान-ए-दर्द मगर

ये कम नहीं कि सलामत-रवी के साथ चले

ख़ुद अपना सोज़-ए-तलब दे सके न जिस का साथ

दयार-ए-ग़म में वो किस रौशनी के साथ चले

ये कह के हो गए ख़ुद से भी हम जुदा 'हुर्मत'

सफ़र में कौन किसी अजनबी के साथ चले

(879) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Rah-e-talab Mein BaDi Turfagi Ke Sath Chale In Hindi By Famous Poet Hurmatul Ikaram. Rah-e-talab Mein BaDi Turfagi Ke Sath Chale is written by Hurmatul Ikaram. Complete Poem Rah-e-talab Mein BaDi Turfagi Ke Sath Chale in Hindi by Hurmatul Ikaram. Download free Rah-e-talab Mein BaDi Turfagi Ke Sath Chale Poem for Youth in PDF. Rah-e-talab Mein BaDi Turfagi Ke Sath Chale is a Poem on Inspiration for young students. Share Rah-e-talab Mein BaDi Turfagi Ke Sath Chale with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.