Heart Broken Poetry of Hurmatul Ikaram
नाम | हुरमतुल इकराम |
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अंग्रेज़ी नाम | Hurmatul Ikaram |
जन्म की तारीख | 1928 |
मौत की तिथि | 1983 |
यगानगी में भी दुख ग़ैरियत के सहता हूँ
वो दिल समो ले जो दामन में काएनात का कर्ब
वो दिल जो था किसी के ग़म का महरम हो गया रुस्वा
वो आलम है कि हर मौज-ए-नफ़स है रूह पर भारी
वक़्त गर्दिश में ब-अंदाज़-ए-दिगर है कि जो था
उस के सिवा क्या अपनी दौलत
तय किया इस तरह सफ़र तन्हा
रह-ए-तलब में बड़ी तुर्फ़गी के साथ चले
ख़्वाबों के साथ ज़ेहन की अंगड़ाइयाँ भी हैं
जैसे जैसे दर्द का पिंदार बढ़ता जाए है
एक दुनिया कह रही है कौन किस का आश्ना
दिल-ए-आज़ुर्दा को बहलाए हुए हैं हम लोग
दिल को तौफ़ीक़-ए-ज़ियाँ हो तो ग़ज़ल होती है
अपने चमन पे अब्र ये कैसा बरस गया