Sufi Poetry
श्री गुरु-नानक
शातिर अमृतसरी
तेज़ है मेरा क़लम तलवार से
एज़ाज़ काज़मी
बाज़-गश्त
अर्श सिद्दीक़ी
हक़ीक़त है कि नन्हा सा दिया हूँ
वलीउल्लाह वली
सब ने देखा मुझे उठता हुआ मेरे घर से
अजमल सिद्दीक़ी
न मैं हाल-ए-दिल से ग़ाफ़िल न हूँ अश्क-बार अब तक
इरफ़ान अहमद मीर
दरवेश नज़र आता था हर हाल में लेकिन
इक़बाल साजिद
इस साल शराफ़त का लिबादा नहीं पहना
इक़बाल साजिद
मिले वो दर्स मुझ को ज़िंदगी से
इक़बाल आबिदी
हज़रत-ए-इश्क़ इधर कीजे करम या माबूद
इंशा अल्लाह ख़ान
है जिस में क़ुफ़्ल-ए-ख़ाना-ए-ख़ुम्मार तोड़िए
इंशा अल्लाह ख़ान
कोई तो है जो आहों में असर आने नहीं देता
इमरान-उल-हक़ चौहान
सड़क
इमरान शमशाद
मैं अपने हाल-ए-ज़ार का आईना-दार हूँ
इमरान साग़र
मैं सच कहूँ पस-ए-दीवार झूट बोलते हैं
इमरान आमी
महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था
इम्दाद इमाम असर
फल आते हैं फूल टूटते हैं
इमदाद अली बहर
नफ़्स-ए-सरकश को क़त्ल कर ऐ दिल
इमदाद अली बहर
इफ़्शा हुए असरार-ए-जुनूँ जामा-दरी से
इमदाद अली बहर
ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा
इलियास बाबर आवान
पहनाई
इज्तिबा रिज़वी
दिल है और ख़ुद नगरी ज़ौक़-ए-दुआ जिस को कहें
इज्तिबा रिज़वी
धुँद
इफ़्तेख़ार जालिब
अंदलीबों से कभी गुल से कभी लेता हूँ
इफ़्तिख़ार हुसैन रिज़वी सईद
बिखर जाएँगे हम क्या जब तमाशा ख़त्म होगा
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़र जो आया उस पे ए'तिबार कर लिया गया
इफ़्फ़त अब्बास
मिरी मोहब्बत की बे-ख़ुदी को तलाश-ए-हक़्क़-ए-जलाल देना
इफ़्फ़त अब्बास
बला नई कोई पालूँ अगर इजाज़त हो
इफ़्फ़त अब्बास
उलझनें इतनी थीं मंज़र और पस-मंज़र के बीच
हुसैन ताज रिज़वी
वो दिल जो था किसी के ग़म का महरम हो गया रुस्वा
हुरमतुल इकराम