Social Poetry (page 11)
गुम-सुम हवा के पेड़ से लिपटा हुआ हूँ में
अफ़ज़ल मिनहास
जब इक सराब में प्यासों को प्यास उतारती है
अफ़ज़ल ख़ान
शाइरी मैं ने ईजाद की
अफ़ज़ाल अहमद सय्यद
कोई न हर्फ़-ए-नवेद-ओ-ख़बर कहा उस ने
अफ़ज़ाल अहमद सय्यद
आज़ुर्दगी का उस की ज़रा मुझ को पास था
आफ़ताब शम्सी
वो इत्र-ए-ख़ाक अब कहाँ पानी की बास में
आफ़ताब इक़बाल शमीम
मुझे पसंद नहीं ऐसे कारोबार में हूँ
आदिल मंसूरी
कब तक पड़े रहोगे हवाओं के हाथ में
आदिल मंसूरी
मुझे पसंद नहीं ऐसे कारोबार में हूँ
आदिल मंसूरी
अब टूटने ही वाला है तन्हाई का हिसार
आदिल मंसूरी
मोहब्बत सेहर है यारो अगर हासिल हो यक-रूई
आबरू शाह मुबारक
पस-मंज़र की आवाज़
अबरार अहमद
मेरे पास क्या कुछ नहीं
अबरार अहमद
आगे बढ़ने वाले
अबरार अहमद
मुक़द्दर में साहिल कहाँ है मियाँ
आबिद मुनावरी
न जाने कौन फ़ज़ाओं में ज़हर घोल गया
अब्दुस्समद ’तपिश’
जफ़ा के ज़िक्र पे वो बद-हवास कैसा है
अब्दुस्समद ’तपिश’
जब कि पहरा है तीं लिबास ज़र्रीं
अब्दुल वहाब यकरू
मिरी निगाह को जल्वों का हौसला दे दो
अब्दुल मन्नान तरज़ी
जाना कहाँ है और कहाँ जा रहे हैं हम
अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा
अब्दुल हमीद अदम
दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा
अब्दुल हमीद अदम
बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का
अब्दुल हमीद अदम
मिरे ख़ुलूस पे शक की तो कोई वज्ह नहीं
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी
ग़ुबार-ए-दर्द से सारा बदन अटा निकला
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-दिलबरी सिमट आ निगाह-ए-मजाज़ में
अब्दुल अलीम आसि
मिरी झोली में वो लफ़्ज़ों के मोती डाल देता है
अब्दुल अहद साज़
पागल
अब्बास ताबिश
कुंज-ए-ग़ज़ल न क़ैस का वीराना चाहिए
अब्बास ताबिश
बदन के चाक पर ज़र्फ़-ए-नुमू तय्यार करता हूँ
अब्बास ताबिश