Social Poetry
सहमा है आसमान ज़मीं भी उदास है
दाऊद मोहसिन
कंगाल
हारिस ख़लीक़
तिरी तलाश तिरी जुस्तुजू उतरती है
हनीफ़ राही
ग़ुरूब होते हुए सूरजों के पास रहे
वफ़ा नक़वी
बातें करो
ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी
सियासी मस्लहत
ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी
बे-रहम शायरों के जुर्म
तनवीर अंजुम
ओस से भरा गिलास
इक़तिदार जावेद
दरवेश नज़र आता था हर हाल में लेकिन
इक़बाल साजिद
वो मुसलसल चुप है तेरे सामने तन्हाई में
इक़बाल साजिद
वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा
इक़बाल साजिद
संग-दिल हूँ इस क़दर आँखें भिगो सकता नहीं
इक़बाल साजिद
इस साल शराफ़त का लिबादा नहीं पहना
इक़बाल साजिद
अभी मिरा आफ़्ताब उफ़ुक़ की हुदूद से आश्ना नहीं है
इक़बाल कौसर
ज़वाल-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न था और मैं था
इक़बाल अासिफ़
कहीं शबनम कहीं ख़ुशबू कहीं ताज़ा कली रखना
इन्तिज़ार ग़ाज़ीपुरी
हर एक शख़्स के विज्दान से ख़िताब करे
इंतिख़ाब सय्यद
ज़मीं से उट्ठी है या चर्ख़ पर से उतरी है
इंशा अल्लाह ख़ान
सद-बर्ग गह दिखाई है गह अर्ग़वाँ बसंत
इंशा अल्लाह ख़ान
धूम इतनी तिरे दीवाने मचा सकते हैं
इंशा अल्लाह ख़ान
सच
इंजिला हमेश
दोस्त जब ज़ी-वक़ार होता है
इन्दिरा वर्मा
रहती है सब के पास तन्हाई
इंद्र सराज़ी
उसी दरख़्त को मौसम ने बे-लिबास किया
इम्तियाज़ साग़र
वो संगलाख़ ज़मीनों में शेर कहता था
इम्तियाज़ साग़र
उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए
इमरान-उल-हक़ चौहान
हमारे दिन गुज़र गए
इलियास बाबर आवान
कारोबार में अब के ख़सारा और तरह का है
इफ़्तिख़ार आरिफ़
खज़ाना-ए-ज़र-ओ-गौहर पे ख़ाक डाल के रख
इफ़्तिख़ार आरिफ़
अहल-ए-मोहब्बत की मजबूरी बढ़ती जाती है
इफ़्तिख़ार आरिफ़