Sharab Poetry (page 51)
दिल-ए-दीवाना ओ अंदाज़-ए-बेबाकाना रखते हैं
अख़्तर शीरानी
दिल में ख़याल-ए-नर्गिस-ए-जानाना आ गया
अख़्तर शीरानी
बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले
अख़्तर शीरानी
ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए
अख़्तर शीरानी
अगर वो अपने हसीन चेहरे को भूल कर बे-नक़ाब कर दे
अख़्तर शीरानी
यारान-ए-तेज़-गाम से रंजिश कहाँ है अब
अख़तर शाहजहाँपुरी
जो क़तरे में समुंदर देखते हैं
अख़तर शाहजहाँपुरी
दिल की राहें ढूँडने जब हम चले
अख़्तर सईद ख़ान
तुम्हारे होने का शायद सुराग़ पाने लगे
अख़्तर रज़ा सलीमी
ये औरतें
अख़्तर पयामी
पर्दा-ए-ज़ंगारी
अख़्तर पयामी
लम्स-ए-आख़िरी
अख़्तर पयामी
आवारा
अख़्तर पयामी
दारू-ए-होश-रुबा नर्गिस-ए-बीमार तो हो
अख़्तर ओरेनवी
शिकवा इस का तो नहीं है जो करम छोड़ दिया
अख़तर मुस्लिमी
नाले मिरे जब तक मिरे काम आते रहेंगे
अख़तर मुस्लिमी
न समझ सकी जो दुनिया ये ज़बान-ए-बे-ज़बानी
अख़तर मुस्लिमी
तर्क-ए-वादा कि तर्क-ए-ख़्वाब था वो
अख़्तर हुसैन जाफ़री
आँधी में चराग़ जल रहे हैं
अख़्तर होशियारपुरी
यूँ बदलती है कहीं बर्क़-ओ-शरर की सूरत
अख़्तर अंसारी अकबराबादी
ये रंग-ओ-कैफ़ कहाँ था शबाब से पहले
अख़्तर अंसारी अकबराबादी
ये मोहब्बत की जवानी का समाँ है कि नहीं
अख़्तर अंसारी अकबराबादी
नहीं आसान तर्क-ए-इश्क़ करना दिल से ग़म जाना
अख़्तर अंसारी अकबराबादी
नदीम बाग़ में जोश-ए-नुमू की बात न कर
अख़्तर अंसारी अकबराबादी
जाम ला जाम कि आलाम से जी डरता है
अख़्तर अंसारी अकबराबादी
हर लम्हा अता करता है पैमाना सा इक शख़्स
अख़्तर अंसारी अकबराबादी
ये सनम रिवायत-ओ-नक़्ल के हुबल-ओ-मनात से कम नहीं
अख़्तर अंसारी
तिरा आसमाँ नावकों का ख़ज़ीना हयात-आफ़रीना हयात-आफ़रीना
अख़्तर अंसारी
सीना ख़ूँ से भरा हुआ मेरा
अख़्तर अंसारी
शोले भड़काओ देखते क्या हो
अख़्तर अंसारी