Sharab Poetry (page 49)
शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो
अली सरदार जाफ़री
सर्द हैं दिल आतिश-ए-रू-ए-निगाराँ चाहिए
अली सरदार जाफ़री
नग़्मा-ए-ज़ंजीर है और शहर-ए-याराँ इन दिनों
अली सरदार जाफ़री
मस्ती-ए-रिंदाना हम सैराबी-ए-मय-ख़ाना हम
अली सरदार जाफ़री
लग़्ज़िश-ए-गाम लिए लग़्ज़िश-ए-मस्ताना लिए
अली सरदार जाफ़री
इश्क़ का नग़्मा जुनूँ के साज़ पर गाते हैं हम
अली सरदार जाफ़री
फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह
अली सरदार जाफ़री
इक सुब्ह है जो हुई नहीं है
अली सरदार जाफ़री
दिल की आग जवानी के रुख़्सारों को दहकाए है
अली सरदार जाफ़री
बैठे हैं जहाँ साक़ी पैमाना-ए-ज़र ले कर
अली सरदार जाफ़री
ये दुश्मनी है साक़ी या दोस्ती है साक़ी
अली जव्वाद ज़ैदी
होली
अली जव्वाद ज़ैदी
उफ़ वो इक हर्फ़-ए-तमन्ना जो हमारे दिल में था
अली जव्वाद ज़ैदी
तेरे हल्के से तबस्सुम का इशारा भी तो हो
अली जव्वाद ज़ैदी
तिरे दयार में कोई ग़म-आश्ना तो नहीं
अली जव्वाद ज़ैदी
राह-ए-उल्फ़त में मिले ऐसे भी दीवाने मुझे
अली जव्वाद ज़ैदी
नया मय-कदे में निज़ाम आ गया
अली जव्वाद ज़ैदी
मस्ती-ए-गाम भी थी ग़फ़लत-ए-अंजाम के साथ
अली जव्वाद ज़ैदी
जुनूँ से राह-ए-ख़िरद में भी काम लेना था
अली जव्वाद ज़ैदी
है ख़मोश आँसुओं में भी नशात-ए-कामरानी
अली जव्वाद ज़ैदी
ग़ैर पूछें भी तो हम क्या अपना अफ़्साना कहें
अली जव्वाद ज़ैदी
इक आह-ए-ज़ेर-ए-लब के गुनहगार हो गए
अली जव्वाद ज़ैदी
दीन ओ दिल पहली ही मंज़िल में यहाँ काम आए
अली जव्वाद ज़ैदी
ऐश ही ऐश है न सब ग़म है
अली जव्वाद ज़ैदी
आँखों में अश्क भर के मुझ से नज़र मिला के
अली जव्वाद ज़ैदी
काटी है ग़म की रात बड़े एहतिराम से
अली अहमद जलीली
अब छलकते हुए साग़र नहीं देखे जाते
अली अहमद जलीली
बादा-ख़ाने की रिवायत को निभाना चाहिए
अलीम उस्मानी
अब जाम निगाहों के नशा क्यूँ नहीं देते
अलीम उस्मानी
रूह अफ़्सुर्दा तबीअत मिरी ग़म-कोश हुई
अलीम मसरूर