Sharab Poetry (page 27)
जब रुख़-ए-हुस्न से नक़ाब उठा
एहसान दानिश
हंगामा-ए-ख़ुदी से तू बे-नियाज़ हो जा
एहसान दानिश
अब कहो कारवाँ किधर को चले
एहसान दानिश
बहुत आसान है दो घूँट पी लेना तो ऐ 'राही'
दिवाकर राही
अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में
दिवाकर राही
ज़रा भी शोर मौजों का नहीं है
दिवाकर राही
क्या किसी की तलब नहीं होती
दिनेश ठाकुर
शदीद गरमी के मौसम में मुशाइरा
दिलावर फ़िगार
लग गए हैं फ़ोन लगने में जो पच्चीस साल
दिलावर फ़िगार
'ग़ालिब' को बुरा क्यूँ कहो
दिलावर फ़िगार
कब तक फिरूंगा हाथ में कासा उठा के मैं
दिलावर अली आज़र
मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है
दिल शाहजहाँपुरी
मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है
दिल शाहजहाँपुरी
क्या कहिए दास्तान-ए-तमन्ना बदल गई
दिल शाहजहाँपुरी
तेरा क्या जाता जो मिलता जाम-ए-रेहानी मुझे
धनपत राय थापर राज़
पीने दें मय-कशों को जहाँ भी पिया करें
दीपक शर्मा दीप
ज़रा निगाह उठाओ कि ग़म की रात कटे
द्वारका दास शोला
नहीं कहते किसी से हाल-ए-दिल ख़ामोश रहते हैं
द्वारका दास शोला
देख जुर्म-ओ-सज़ा की बात न कर
द्वारका दास शोला
मज़दूर
दाऊद ग़ाज़ी
निगाह-ए-यार सूँ हासिल है मुझ कूँ मय-नोशी
दाऊद औरंगाबादी
मुझ साथ सैर-ए-बाग़ कूँ ऐ नौ-बहार चल
दाऊद औरंगाबादी
ख़िर्क़ा-पोशी में ख़ुद-नुमाई है
दाऊद औरंगाबादी
जब वो मह-ए-रुख़्सार यकायक नज़र आया
दाऊद औरंगाबादी
जब मिला यार तू अग़्यार सेती क्या मतलब
दाऊद औरंगाबादी
हुस्न इस शम्अ-रू का है गुल-रंग
दाऊद औरंगाबादी
दिलबर कूँ इताब ख़ूब है ख़ूब
दाऊद औरंगाबादी
अगर वो गुल-बदन मुझ पास हो जावे तो क्या होवे
दाऊद औरंगाबादी
आज बदली है हवा साक़ी पिला जाम-ए-शराब
दाऊद औरंगाबादी
ज़िंदगी का किस लिए मातम रहे
दत्तात्रिया कैफ़ी