Sharab Poetry (page 26)
जान-ए-अय्याम-ए-दिलबरी है याद
फ़ाएज़ देहलवी
हर आश्ना से उस बिन बेगाना हो रहा हूँ
फ़ाएज़ देहलवी
ऐ यार नसीहत को अगर गोश करे तू
फ़ाएज़ देहलवी
सरहद-ए-जल्वा से जो आगे निकल जाएगी
एज़ाज़ अफ़ज़ल
रुस्वा भी हुए जाम पटकना भी न आया
एज़ाज़ अफ़ज़ल
जाम खनके तो सँभाला न गया दिल तुम से
एज़ाज़ अफ़ज़ल
जब फैल के वीरानों से वीराने मिलेंगे
एज़ाज़ अफ़ज़ल
ऐ नक़्श-गरो लौह-ए-तहरीर हमें दे दो
एज़ाज़ अफ़ज़ल
आज दिल है कि सर-ए-शाम बुझा लगता है
एज़ाज़ अफ़ज़ल
किस क़दर मसअला-ए-शाम-ओ-सहर बदला है
एज़ाज़ अफ़ज़ल
ऐ ग़म-ए-दिल ये माजरा क्या है
एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
राह-ए-तलब में अहल-ए-दिल जब हद-ए-आम से बढ़े
एजाज़ वारसी
मय-ख़ाना है बिना-ए-शर-ओ-ख़ैर तो नहीं
एजाज़ वारसी
कार-ए-ख़ैर इतना तो ऐ लग़्ज़िश-ए-पा हो जाता
एजाज़ वारसी
चुप खड़े हैं दरमियान-ए-का'बा-ओ-बुत-ख़ाना हम
एजाज़ वारसी
नूर की किरन उस से ख़ुद निकलती रहती है
एजाज़ सिद्दीक़ी
नक़्श-बर-आब हो गया हूँ मैं
एजाज़ रहमानी
कितने बा-होश हो गए हम लोग
एजाज़ रहमानी
जो जा चुके हैं ग़ालिबन उतरें कभी ज़ीना तिरा
एजाज़ उबैद
ग़म में इक मौज सरख़ुशी की है
एहतिशाम हुसैन
गया था बज़्म-ए-मोहब्बत में ख़ाली जाम लिए
एहतिशाम हुसैन
अक़्ल पहुँची जो रिवायात के काशाने तक
एहतिशाम हुसैन
तुम अच्छे मसीहा हो दवा क्यूँ नहीं देते
एहसान जाफ़री
नज़र आती है सारी काएनात-ए-मै-कदा रौशन
एहसान दरबंगावी
ख़याल के फूल खिल रहे हैं बहार के गीत गा रहा हूँ
एहसान दरबंगावी
दिल की शगुफ़्तगी के साथ राहत-ए-मय-कदा गई
एहसान दानिश
तौबा की नाज़िशों पे सितम ढा के पी गया
एहसान दानिश
परस्तिश-ए-ग़म का शुक्रिया क्या तुझे आगही नहीं
एहसान दानिश
मिरे मिटाने की तदबीर थी हिजाब न था
एहसान दानिश
कल रात कुछ अजीब समाँ ग़म-कदे में था
एहसान दानिश