Sharab Poetry (page 22)
हुई इक ख़्वाब से शादी मिरी तन्हाई की
फ़रहत एहसास
अक्स कुछ न बदलेगा आइनों को धोने से
फ़रहान सालिम
शौक़ का सिलसिला बे-कराँ है
फ़रीद जावेद
मय-कदे के सिवा मिली है कहाँ
फ़रीद जावेद
हम जिसे समझते थे सई-ए-राएगाँ यारो
फ़रीद जावेद
दिल में शगुफ़्ता गुल भी हैं रौशन चराग़ भी
फ़रीद इशरती
कोई जब मिल के मुस्कुराया था
फ़रह इक़बाल
देखा पलट के जब भी तो फैला ग़ुबार था
फ़रह इक़बाल
जो भी अंजाम हो आग़ाज़ किए देते हैं
फ़राग़ रोहवी
दयार-ए-शब का मुक़द्दर ज़रूर चमकेगा
फ़राग़ रोहवी
मुझ तक उस महफ़िल में फिर जाम-ए-शराब आने को है
फ़ानी बदायुनी
भर के साक़ी जाम-ए-मय इक और ला और जल्द ला
फ़ानी बदायुनी
रह जाए या बला से ये जान रह न जाए
फ़ानी बदायुनी
नहीं मंज़ूर तप-ए-हिज्र का रुस्वा होना
फ़ानी बदायुनी
मिज़ाज-ए-दहर में उन का इशारा पाए जा
फ़ानी बदायुनी
क्यूँ न नैरंग-ए-जुनूँ पर कोई क़ुर्बां हो जाए
फ़ानी बदायुनी
कुछ बस ही न था वर्ना ये इल्ज़ाम न लेते
फ़ानी बदायुनी
ख़ल्क़ कहती है जिसे दिल तिरे दीवाने का
फ़ानी बदायुनी
जल्वा-ए-इश्क़ हक़ीक़त थी हुस्न-ए-मजाज़ बहाना था
फ़ानी बदायुनी
इब्तिदा-ए-इश्क़ है लुत्फ़-ए-शबाब आने को है
फ़ानी बदायुनी
दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में किस का ज़ुहूर था
फ़ानी बदायुनी
रहता है वहाँ ज़िक्र-ए-तुहूर-ओ-मय-ए-कौसर
फ़ना निज़ामी कानपुरी
यूँ तिरी तलाश में तेरे ख़स्ता-जाँ चले
फ़ना निज़ामी कानपुरी
यूँ इंतिक़ाम तुझ से फ़स्ल-ए-बहार लेंगे
फ़ना निज़ामी कानपुरी
या रब मिरी हयात से ग़म का असर न जाए
फ़ना निज़ामी कानपुरी
वो ख़ानुमाँ-ख़राब न क्यूँ दर-ब-दर फिरे
फ़ना निज़ामी कानपुरी
मुझे रुतबा-ए-ग़म बताना पड़ेगा
फ़ना निज़ामी कानपुरी
मेरे चेहरे से ग़म आश्कारा नहीं
फ़ना निज़ामी कानपुरी
झूटी ही तसल्ली हो कुछ दिल तो बहल जाए
फ़ना निज़ामी कानपुरी
जब मेरे रास्ते में कोई मय-कदा पड़ा
फ़ना निज़ामी कानपुरी