Sharab Poetry (page 14)
नवेद-ए-आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार भी तो नहीं
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
और ऐ चश्म-ए-तरब बादा-ए-गुलफ़ाम अभी
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
आज उन्हें देख लिया बज़्म में फ़र्ज़ानों की
हबाब तिर्मिज़ी
उमीद-ओ-बीम के आलम में दिल दहलता है
हबाब हाश्मी
तिश्ना-ए-तकमील है वहशत का अफ़्साना अभी
ग्यान चन्द मंसूर
सद-साला दौर-ए-चर्ख़ था साग़र का एक दौर
गुस्ताख़ रामपुरी
साग़र में शक्ल-ए-दुख़्तर-ए-रज़ कुछ बदल गई
गुस्ताख़ रामपुरी
तिरी तलब ने फ़लक पे सब के सफ़र का अंजाम लिख दिया है
गुलज़ार बुख़ारी
रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे
गुलज़ार
उर्दू ज़बाँ
गुलज़ार
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
गुलज़ार
यूँ तो दिल हर कदाम रखता है
ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी
ये दिल ही जल्वा-गाह है उस ख़ुश-ख़िराम का
ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी
महज़ूँ न हो 'हुज़ूर' अब आता है यार अपना
ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी
गुल-एज़ार और भी यूँ रखते हैं रंग और नमक
ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी
बा'द-ए-मकीं मकाँ का गर बाम रहा तो क्या हुआ
ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी
अश्क आँखों के अंदर न रहा है न रहेगा
ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी
ज़िंदगी इश्क़-ओ-मोहब्बत से जवाँ होती है
ग़ुलाम नबी हकीम
कुछ तुम्हारी अंजुमन में ऐसे दीवाने भी थे
गुलाम जीलानी असग़र
दर्द-ए-दिल के साथ क्या मेरे मसीहा कर दिया
गुहर खैराबादी
क़त्ल उश्शाक़ किया करते हैं
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
नज़्ज़ारा-ए-रुख़-ए-साक़ी से मुझ को मस्ती है
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
क्यूँकर न ख़ुश हो सर मिरा लटक्का के दार में
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
हाथ से कुछ न तिरे ऐ मह-ए-कनआँ होगा
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
दुआएँ माँगीं हैं मुद्दतों तक झुका के सर हाथ उठा उठा कर
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
भूला है बा'द-ए-मर्ग मुझे दोस्त याँ तलक
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
सँभल के रहिएगा ग़ुस्से में चल रही है हवा
गोविन्द गुलशन
गिला क्या करूँ ऐ फ़लक बता मिरे हक़ में जब ये जहाँ नहीं
गोर बचन सिंह दयाल मग़मूम
मेरा साक़ी है बड़ा दरिया-दिल
गोपाल मित्तल
इश्क़ में कब ये ज़रूरी है कि रोया जाए
गोपाल मित्तल