Sharab Poetry (page 11)
पी लो दो घूँट कि साक़ी की रहे बात 'हफ़ीज़'
हफ़ीज़ जौनपुरी
यूँ उठा दे हमारे जी से ग़रज़
हफ़ीज़ जौनपुरी
यही मसअला है जो ज़ाहिदो तो मुझे कुछ इस में कलाम है
हफ़ीज़ जौनपुरी
वो हम-कनार है जाम-ए-शराब हाथ में है
हफ़ीज़ जौनपुरी
वस्ल में आपस की हुज्जत और है
हफ़ीज़ जौनपुरी
उस को आज़ादी न मिलने का हमें मक़्दूर है
हफ़ीज़ जौनपुरी
सुब्ह को आए हो निकले शाम के
हफ़ीज़ जौनपुरी
शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे
हफ़ीज़ जौनपुरी
साथ रहते इतनी मुद्दत हो गई
हफ़ीज़ जौनपुरी
पी हम ने बहुत शराब तौबा
हफ़ीज़ जौनपुरी
पत्थर से न मारो मुझे दीवाना समझ कर
हफ़ीज़ जौनपुरी
मुसीबतें तो उठा कर बड़ी बड़ी भूले
हफ़ीज़ जौनपुरी
मिज़्गाँ हैं ग़ज़ब अबरू-ए-ख़म-दार के आगे
हफ़ीज़ जौनपुरी
किसी को देख कर बे-ख़ुद दिल-ए-काम हो जाना
हफ़ीज़ जौनपुरी
ख़ुद-ब-ख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है
हफ़ीज़ जौनपुरी
ख़ुद-बख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है
हफ़ीज़ जौनपुरी
दुनिया में यूँ तो हर कोई अपनी सी कर गया
हफ़ीज़ जौनपुरी
दिया जब जाम-ए-मय साक़ी ने भर के
हफ़ीज़ जौनपुरी
दिल को इसी सबब से है इज़्तिराब शायद
हफ़ीज़ जौनपुरी
बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है
हफ़ीज़ जौनपुरी
अफ़्सुर्दगी-ए-दिल से ये रंग है सुख़न में
हफ़ीज़ जौनपुरी
अदा परियों की सूरत हूर की आँखें ग़ज़ालों की
हफ़ीज़ जौनपुरी
अब तो नहीं आसरा किसी का
हफ़ीज़ जौनपुरी
आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया
हफ़ीज़ जौनपुरी
आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया
हफ़ीज़ जौनपुरी
कैसे बंद हुआ मय-ख़ाना अब मालूम हुआ
हफ़ीज़ जालंधरी
इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी
हफ़ीज़ जालंधरी
तौबा-नामा
हफ़ीज़ जालंधरी
पिए जा
हफ़ीज़ जालंधरी
मेरी शाएरी
हफ़ीज़ जालंधरी