Islamic Poetry
ज़मीन मेरी रहेगी न आइना मेरा
ग़ुलाम हुसैन साजिद
जो मुझ में छुपा मेरा गला घोंट रहा है
फ़हमीदा रियाज़
सहमा है आसमान ज़मीं भी उदास है
दाऊद मोहसिन
हम्द
मुबश्शिर अली ज़ैदी
कैसे समझेगा सदफ़ का वो गुहर से रिश्ता
अख़्तर हाशमी
मुसलमान और हिन्दोस्तान
हिन्दी गोरखपुरी
वारिस
मुबश्शिर अली ज़ैदी
ये सन्नाटा है मैं हूँ चाँदनी में
अमित सतपाल तनवर
ज़िंदगी होने का दुख सहने में है
अर्श सिद्दीक़ी
नद्दी ये जैसे मौज में दरिया से जा मिले
जानाँ मलिक
सामाँ तो बेहद है दिल में
अनवर शऊर
अफ़्सोस तुम्हें कार के शीशे का हुआ है
हबीब जालिब
मौसम हो कोई याद के खे़मे नहीं उठते
वफ़ा नक़वी
न आए काम किसी के जो ज़िंदगी क्या है
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
उर्दू की शोहरा-ए-आफ़ाक़ वेब-साइट रेख़्ता की इल्मी-ओ-अदबी ख़िदमात पर मंज़ूम तअस्सुरात
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
कल से आज तक
दौर आफ़रीदी
मुर्ग़-ए-मरहूम
असद जाफ़री
अपने शहर के लिए दुआ
मुनीर नियाज़ी
कभी किसी से न हम ने कोई गिला रक्खा
इरफ़ान सत्तार
अपनी ख़बर, न उस का पता है, ये इश्क़ है
इरफ़ान सत्तार
आज बाम-ए-हर्फ़ पर इम्कान भर मैं भी तो हूँ
इरफ़ान सत्तार
ख़ंदगी ख़ुश लब तबस्सुम मिस्ल-ए-अरमाँ हो गए
इरफ़ान अहमद मीर
जो तसव्वुर से मावरा न हुआ
इक़बाल सुहैल
उफ़ क्या मज़ा मिला सितम-ए-रोज़गार में
इक़बाल सुहैल
सदा फ़रियाद की आए कहीं से
इक़बाल सुहैल
पैग़ाम-ए-रिहाई दिया हर चंद क़ज़ा ने
इक़बाल सुहैल
जो तसव्वुर से मावरा न हुआ
इक़बाल सुहैल
अंजाम-ए-वफ़ा भी देख लिया अब किस लिए सर ख़म होता है
इक़बाल सुहैल
अब दिल को हम ने बंदा-ए-जानाँ बना दिया
इक़बाल सुहैल
लगा दी काग़ज़ी मल्बूस पर मोहर-ए-सबात अपनी
इक़बाल साजिद