Heart Broken Poetry (page 412)
चाहत ग़म्ज़े जता रही है
आग़ा अकबराबादी
बुत-ए-ग़ुंचा-दहन पे निसार हूँ मैं नहीं झूट कुछ इस में ख़ुदा की क़सम
आग़ा अकबराबादी
आँखों पे वो ज़ुल्फ़ आ रही है
आग़ा अकबराबादी
यही नहीं कि फ़क़त प्यार करने आए हैं
आग़ा निसार
दीवाली
आफ़ताब राईस पानीपती
चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर
आफ़ताब राईस पानीपती
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
आफ़ताबुद्दौला लखनवी क़लक़
क्या ज़मीं क्या आसमाँ कुछ भी नहीं
आफ़ाक़ सिद्दीक़ी
वहाँ शायद कोई बैठा हुआ है
आदिल रज़ा मंसूरी
सफ़र के ब'अद भी मुझ को सफ़र में रहना है
आदिल रज़ा मंसूरी
मिरी ख़ामोशियों की झील में फिर
आदिल रज़ा मंसूरी
पस-ओ-पेश
आदिल रज़ा मंसूरी
लिबास
आदिल रज़ा मंसूरी
दो अजनबी
आदिल रज़ा मंसूरी
वहाँ शायद कोई बैठा हुआ है
आदिल रज़ा मंसूरी
सफ़र के ब'अद भी मुझ को सफ़र में रहना है
आदिल रज़ा मंसूरी
रास्ते सिखाते हैं किस से क्या अलग रखना
आदिल रज़ा मंसूरी
पाँव पत्तों पे धीरे से धरता हुआ
आदिल रज़ा मंसूरी
जो अश्क बन के हमारी पलक पे बैठा था
आदिल रज़ा मंसूरी
एक इक लम्हे को पलकों पे सजाता हुआ घर
आदिल रज़ा मंसूरी
दिन के सीने पे शाम का पत्थर
आदिल रज़ा मंसूरी
चाँद तारे बना के काग़ज़ पर
आदिल रज़ा मंसूरी
आँधियाँ ग़म की चलीं और कर्ब-बादल छा गए
अाबिदा उरूज
गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन
ए जी जोश