Heart Broken Poetry (page 209)
मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता
अज़्म बहज़ाद
कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में
अज़्म बहज़ाद
खुलता नहीं कि हम में ख़िज़ाँ-दीदा कौन है
अज़्म बहज़ाद
कहीं गोयाई के हाथों समाअत रो रही है
अज़्म बहज़ाद
जो यहाँ हाज़िर है वो मिस्ल-ए-गुमाँ मौजूद है
अज़्म बहज़ाद
जो बात शर्त-ए-विसाल ठहरी वही है अब वज्ह-ए-बद-गुमानी
अज़्म बहज़ाद
दिल सोया हुआ था मुद्दत से ये कैसी बशारत जागी है
अज़्म बहज़ाद
बे-हद ग़म हैं जिन में अव्वल उम्र गुज़र जाने का ग़म
अज़्म बहज़ाद
बहुत क़रीने की ज़िंदगी थी अजब क़यामत में आ बसा हूँ
अज़्म बहज़ाद
तू आ गया है तो अब याद भी नहीं मुझ को
अज़लान शाह
ज़रा सी देर में कश्कोल भरने वाला था
अज़लान शाह
समझ के रस्ता इधर से गुज़रने वालों ने
अज़लान शाह
सफ़र के ब'अद भी सफ़र का एहतिमाम कर रहा हूँ मैं
अज़लान शाह
क़ुबूल होती हुई बद-दुआ से डरते हैं
अज़लान शाह
पीरी नहीं चलती कि फ़क़ीरी नहीं चलती
अज़लान शाह
माँगना ख़्वाहिश-ए-दीदार से आगे क्या है
अज़लान शाह
किसी के नाम पे नन्हे दिए जलाते हुए
अज़लान शाह
हारे हुए लोगों की कहानी की तरह हैं
अज़लान शाह
शहर हो दश्त-ए-तमन्ना हो कि दरिया का सफ़र
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
यादों का जज़ीरा शब-ए-तन्हाई में
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
तेरी यादें हैं जिन्हें दिल में बसा रक्खा है
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
लम्हों ने यूँ समेट लिया फ़ासला बहुत
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
कमाल ये है कि दुनिया को कुछ पता न लगे
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
तुम पे इल्ज़ाम न आ जाए सफ़र में कोई
अज़ीज़ वारसी
ये हम पर लुत्फ़ कैसा ये करम क्या
अज़ीज़ वारसी
तिरी तलाश में निकले हैं तेरे दीवाने
अज़ीज़ वारसी
तिरी महफ़िल में फ़र्क़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ कौन देखेगा
अज़ीज़ वारसी
सोज़िश-ए-ग़म के सिवा काहिश-ए-फ़ुर्क़त के सिवा
अज़ीज़ वारसी
शीशा लब से जुदा नहीं होता
अज़ीज़ वारसी