Friendship Poetry (page 13)
इल्तिफ़ात-ए-यार था इक ख़्वाब-ए-आग़ाज़-ए-वफ़ा
हसरत मोहानी
है वहाँ शान-ए-तग़ाफ़ुल को जफ़ा से भी गुरेज़
हसरत मोहानी
दिल को ख़याल-ए-यार ने मख़्मूर कर दिया
हसरत मोहानी
छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
हसरत मोहानी
बे-ज़बानी तर्जुमान-ए-शौक़ बेहद हो तो हो
हसरत मोहानी
अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुद
हसरत मोहानी
ऐ याद-ए-यार देख कि बा-वस्फ़-ए-रंज-ए-हिज्र
हसरत मोहानी
यूँ तो आशिक़ तिरा ज़माना हुआ
हसरत मोहानी
वस्ल की बनती हैं इन बातों से तदबीरें कहीं
हसरत मोहानी
उन को रुस्वा मुझे ख़राब न कर
हसरत मोहानी
उन को जो शुग़्ल-ए-नाज़ से फ़ुर्सत न हो सकी
हसरत मोहानी
तुझ से गरवीदा यक ज़माना रहा
हसरत मोहानी
तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए
हसरत मोहानी
तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी
हसरत मोहानी
सितम हो जाए तम्हीद-ए-करम ऐसा भी होता है
हसरत मोहानी
रोग दिल को लगा गईं आँखें
हसरत मोहानी
रविश-ए-हुस्न-ए-मुराआत चली जाती है
हसरत मोहानी
रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम
हसरत मोहानी
क़वी दिल शादमाँ दिल पारसा दिल
हसरत मोहानी
निगाह-ए-यार जिसे आश्ना-ए-राज़ करे
हसरत मोहानी
न सही गर उन्हें ख़याल नहीं
हसरत मोहानी
मुक़र्रर कुछ न कुछ इस में रक़ीबों की भी साज़िश है
हसरत मोहानी
महरूम-ए-तरब है दिल-ए-दिल-गीर अभी तक
हसरत मोहानी
लुत्फ़ की उन से इल्तिजा न करें
हसरत मोहानी
क्या तुम को इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं आता
हसरत मोहानी
हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया
हसरत मोहानी
हम ने किस दिन तिरे कूचे में गुज़ारा न किया
हसरत मोहानी
हर हाल में रहा जो तिरा आसरा मुझे
हसरत मोहानी
घटेगा तेरे कूचे में वक़ार आहिस्ता आहिस्ता
हसरत मोहानी
दिल को ख़याल-ए-यार ने मख़्मूर कर दिया
हसरत मोहानी