ख्वाब Poetry
दयार-ए-ख़्वाब को निकलूँगा सर उठा कर मैं
ग़ुलाम हुसैन साजिद
सर पर किसी ग़रीब के नाचार गिर पड़े
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ज़मीन मेरी रहेगी न आइना मेरा
ग़ुलाम हुसैन साजिद
विसाल
बलराज कोमल
हिज्र
अज़ीमुद्दीन अहमद
दूसरा जन्म
बलराज कोमल
बहुत ख़ूब नक़्शा मिरे घर का है
फ़ारूक़ इंजीनियर
सहमा है आसमान ज़मीं भी उदास है
दाऊद मोहसिन
कहाँ तहरीरें मैं ने बाँट दी हैं
हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी
ये हसरतें भी मिरी साइयाँ निकाली जाएँ
एहतिमाम सादिक़
तिरी शबीह को लिक्खा है रंग-ओ-बू मैं ने
एहतिमाम सादिक़
बसंती
मुबश्शिर अली ज़ैदी
तिरे ख़याल के बादल उतर के आए हैं
तरुणा मिश्रा
वो निशाना भी ख़ता जाता तो बेहतर होता
अब्दुल्लाह कमाल
जो महका रहे तेरी याद सुहानी में
बीना गोइंदी
शबाब आ गया उस पर शबाब से पहले
ए जी जोश
वो हातिफ़ की ज़बान में कलाम करने लगी
जवाज़ जाफ़री
किसी की सदा
इब्न-ए-सफ़ी
रिवायती मोहब्बत
ममता तिवारी
इन्नोसेंस
फ़ाख़िरा बतूल
मोहब्बत हादसा है
फ़ाख़िरा बतूल
मैं बच गई माँ
ज़ेहरा निगाह
वही मैं हूँ वही मेरी कहानी है
मोईन निज़ामी
ज़ब्त की हद से भी जिस वक़्त गुज़र जाता है
शौक़ मुरादाबादी
गुज़़रेंगे तेरे दौर से जो कुछ भी हाल हो
अंजुम फ़ौक़ी बदायूनी
तेज़ हो जाएँ हवाएँ तो बगूला हो जाऊँ
ज़ुबैर शिफ़ाई
बला-ए-तीरा-शबी का जवाब ले आए
अख़्तर सईद ख़ान
ज़मीं से ता-ब-फ़लक कोई फ़ासला भी नहीं
आरिफ़ अब्दुल मतीन
जब से पड़ी है उन से मुलाक़ात की तरह
अनवर अंजुम
न तीरगी के लिए हूँ न रौशनी के लिए
ऐन सलाम