Bewafa Poetry (page 18)
हज़ारों बार कह कर बेवफ़ा को बा-वफ़ा मैं ने
दिवाकर राही
अदब को जिंस-ए-बाज़ारी न करना
दिलावर फ़िगार
मर्दुम-गज़ीदा इंसान का इलाज
दिलावर फ़िगार
कुछ यूँ सफ़र के शौक़ ने मंज़र दिखाए हैं
देवमणि पांडेय
देख जुर्म-ओ-सज़ा की बात न कर
द्वारका दास शोला
अपनों के सितम याद न ग़ैरों की जफ़ा याद
द्वारका दास शोला
दर्पन दिया हूँ दिल का मैं उस दिलरुबा के हाथ
दाऊद औरंगाबादी
लुत्फ़ हो हश्र में कुछ बात बनाए न बने
दत्तात्रिया कैफ़ी
फ़िदा अल्लाह की ख़िल्क़त पे जिस का जिस्म ओ जाँ होगा
दत्तात्रिया कैफ़ी
जब आदमी मुद्दआ-ए-हक़ है तो क्या कहें मुद्दआ' कहाँ है
दर्शन सिंह
इश्क़ शबनम नहीं शरारा है
दर्शन सिंह
दौलत मिली जहान की नाम-ओ-निशाँ मिले
दर्शन सिंह
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
तेरी गली में मैं न चलूँ और सबा चले
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
मदरसा या दैर था या काबा या बुत-ख़ाना था
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
मदरसा या दैर था या काबा या बुत-ख़ाना था
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
सितम के बा'द भी बाक़ी करम की आस तो है
दानिश फ़राही
किस क़दर इज़्तिराब है यारो
दानिश फ़राही
ज़माने के क्या क्या सितम देखते हैं
दाग़ देहलवी
सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना
दाग़ देहलवी
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा
दाग़ देहलवी
मुझ को मज़ा है छेड़ का दिल मानता नहीं
दाग़ देहलवी
तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था
दाग़ देहलवी
तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं
दाग़ देहलवी
सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना
दाग़ देहलवी
शब-ए-वस्ल ज़िद में बसर हो गई
दाग़ देहलवी
साफ़ कब इम्तिहान लेते हैं
दाग़ देहलवी
क़रीने से अजब आरास्ता क़ातिल की महफ़िल है
दाग़ देहलवी
फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्यूँकर
दाग़ देहलवी
निगाह-ए-शोख़ जब उस से लड़ी है
दाग़ देहलवी