Bewafa Poetry (page 17)
कुछ मोहतसिबों की ख़ल्वत में कुछ वाइ'ज़ के घर जाती है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
किसी गुमाँ पे तवक़्क़ो' ज़ियादा रखते हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
इज्ज़-ए-अहल-ए-सितम की बात करो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हिम्मत-ए-इल्तिजा नहीं बाक़ी
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अब के बरस दस्तूर-ए-सितम में क्या क्या बाब ईज़ाद हुए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जाप
फ़हमीदा रियाज़
ज़रा मोहतात होना चाहिए था
फ़हमी बदायूनी
ख़त लिफ़ाफ़े में ग़ैर का निकला
फ़हमी बदायूनी
मुझ पास कभी वो क़द-ए-शमशाद न आया
फ़ाएज़ देहलवी
चलो कुछ तो राह तय हो न चले तो भूल होगी
एज़ाज़ अफ़ज़ल
ऐ नक़्श-गरो लौह-ए-तहरीर हमें दे दो
एज़ाज़ अफ़ज़ल
बदलते पहलू
एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
मय-ख़ाना है बिना-ए-शर-ओ-ख़ैर तो नहीं
एजाज़ वारसी
जिस को देखो बेवफ़ा है आइनों के शहर में
एजाज़ वारसी
चुप खड़े हैं दरमियान-ए-का'बा-ओ-बुत-ख़ाना हम
एजाज़ वारसी
थीं इक सुकूत से ज़ाहिर मोहब्बतें अपनी
एजाज़ उबैद
मैं ने क्या काम ला-जवाब किया
एजाज़ उबैद
बे-सबब जम'अ तो करता नहीं तीर ओ तरकश
एजाज़ गुल
उसी जन्नत जहन्नम में मरूँगा
एजाज़ गुल
अक्स उभरा न था आईना-ए-दिल-दारी का
एजाज़ गुल
तुझे पसंद जो दिल की लगन नहीं आई
एहतिशाम हुसैन
ग़म में इक मौज सरख़ुशी की है
एहतिशाम हुसैन
ढूँड साया न शजर आगे भी
एहतराम इस्लाम
ढूँड साया न शजर आगे भी
एहतराम इस्लाम
'एहसान' अपना कोई बुरे वक़्त का नहीं
एहसान दानिश
बला से कुछ हो हम 'एहसान' अपनी ख़ू न छोड़ेंगे
एहसान दानिश
तौबा की नाज़िशों पे सितम ढा के पी गया
एहसान दानिश
रहे जो ज़िंदगी में ज़िंदगी का आसरा हो कर
एहसान दानिश
दिल की रग़बत है जब आप ही की तरफ़
एहसान दानिश
ज़ोम का ही तो आरिज़ा है मुझे
डॉक्टर आज़म