Bewafa Poetry (page 16)
जो दिल को पहले मयस्सर था क्या हुआ उस का
फ़ैज़ी
सुब्ह-ए-नौ लाती है हर शाम तुम्हें क्या मा'लूम
फ़ैज़ुल हसन
जाने क्या सोच के उस ने सितम ईजाद किया
फ़ैज़ुल हसन
ऐ दिल अच्छा नहीं मसरूफ़-ए-फ़ुग़ाँ हो जाना
फ़ैज़ुल हसन
व-यबक़ा-वज्ह-ओ-रब्बिक
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
वासोख़्त
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
तुम ये कहते हो अब कोई चारा नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
शोरिश-ए-ज़ंजीर बिस्मिल्लाह
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
शाएर लोग
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
सर-ए-वादी-ए-सीना
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
मदह
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
लौह-ओ-क़लम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
लाओ तो क़त्ल-नामा मिरा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ख़ुर्शीद-ए-महशर की लौ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कहाँ जाओगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हुस्न और मौत
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हम जो तारीक राहों में मारे गए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
गीत
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ढाका से वापसी पर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
चंद रोज़ और मिरी जान
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
बुनियाद कुछ तो हो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अंजाम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ऐ शाम मेहरबाँ हो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आज इक हर्फ़ को फिर ढूँडता फिरता है ख़याल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
सितम सिखलाएगा रस्म-ए-वफ़ा ऐसे नहीं होता
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन न थी तिरी अंजुमन से पहले
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
शैख़ साहब से रस्म-ओ-राह न की
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
क़र्ज़-ए-निगाह-ए-यार अदा कर चुके हैं हम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
न किसी पे ज़ख़्म अयाँ कोई न किसी को फ़िक्र रफ़ू की है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
न अब रक़ीब न नासेह न ग़म-गुसार कोई
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़