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Bewafa Poetry In Hindi - Darsaal

Bewafa Poetry

क्यूँ मसाफ़त में न आए याद अपना घर मुझे

फ़ौक़ लुधियानवी

इश्क़ उस से किया है तो ये गर याद भी रक्खो

फ़ीरोज़ाबी नातिक़ ख़ुसरो

हिज्र

अज़ीमुद्दीन अहमद

देखते ही धड़कनें सारी परेशाँ हो गईं

एहतिमाम सादिक़

ज़ब्त की हद से भी जिस वक़्त गुज़र जाता है

शौक़ मुरादाबादी

कोई रुत्बा तो कोई नाम-नसब पूछता है

क्यूँ यूरिश-ए-तरब में भी ग़म याद आ गए

एहतिशाम हुसैन

आकाश पे बादल छाए थे

बीना गोइंदी

ये जहान-ए-आब-ओ-गिल लगता है इक माया मुझे

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

हम ही ज़र्रे रुस्वाई से

ए जी जोश

ग़ुरूब होते हुए सूरजों के पास रहे

वफ़ा नक़वी

अफ़्सूँ पहली बारिश का

मसूद मिर्ज़ा नियाज़ी

जवाँ आग

हबीब जालिब

ज़ाबता

हबीब जालिब

अंदेशा

फ़ैसल हाश्मी

न मैं हाल-ए-दिल से ग़ाफ़िल न हूँ अश्क-बार अब तक

इरफ़ान अहमद मीर

न मैं हाल-ए-दिल से ग़ाफ़िल न हूँ अश्क-बार अब तक

इरफ़ान अहमद मीर

ख़ंदगी ख़ुश लब तबस्सुम मिस्ल-ए-अरमाँ हो गए

इरफ़ान अहमद मीर

हम उस के सामने हुस्न-ओ-जमाल क्या रखते

इरम ज़ेहरा

मैं कि वक़्फ़-ए-ग़म-ए-दौराँ न हुआ था सो हुआ

इक़बाल उमर

उफ़ क्या मज़ा मिला सितम-ए-रोज़गार में

इक़बाल सुहैल

मिला तो हादिसा कुछ ऐसा दिल ख़राश हुआ

इक़बाल साजिद

जब वो लब-ए-नाज़ुक से कुछ इरशाद करेंगे

इक़बाल मतीन

'इक़बाल' यूँही कब तक हम क़ैद-ए-अना काटें

इक़बाल कौसर

बे-कसी पर ज़ुल्म ला-महदूद है

इक़बाल कैफ़ी

ख़्वाहिश हमारे ख़ून की लबरेज़ अब भी है

इक़बाल अशहर कुरेशी

वही तो मरकज़ी किरदार है कहानी का

इक़बाल अशहर

ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की

इक़बाल अशहर

किनाया और ढब का इस मिरी मज्लिस में कम कीजे

इंशा अल्लाह ख़ान

गाहे गाहे जो इधर आप करम करते हैं

इंशा अल्लाह ख़ान

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Poetry is the effective and most influencing mean due to which one can easily share their thinking and mental approach.

It is a form of speech or mean of communication using metaphors and various other comparitive terms. The things that are difficult to understand or possess variety of meaning including in-depth contextual contrast can be easily demonstrated and depicted using the help of poetry.

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