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Himayat Ali Shayar Sad In Hindi - Best Sad Of Himayat Ali Shayar Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Sad Poetry of Himayat Ali Shayar

Sad Poetry of Himayat Ali Shayar
नामहिमायत अली शाएर
अंग्रेज़ी नामHimayat Ali Shayar
जन्म की तारीख1930
जन्म स्थानKarachi

ये कैसा क़ाफ़िला है जिस में सारे लोग तन्हा हैं

सूरज को ये ग़म है कि समुंदर भी है पायाब

सिर्फ़ ज़िंदा रहने को ज़िंदगी नहीं कहते

शम्अ के मानिंद अहल-ए-अंजुमन से बे-नियाज़

फिर मिरी आस बढ़ा कर मुझे मायूस न कर

इस दश्त-ए-सुख़न में कोई क्या फूल खिलाए

इस दश्त पे एहसाँ न कर ऐ अब्र-ए-रवाँ और

यूसुफ़-ए-सानी

मुद्दत के बाद

हरीफ़-ए-विसाल

हारून की आवाज़

दूसरा तजरबा

अन-कही

आईना-दर-आईना

ये शहर-ए-रफ़ीक़ाँ है दिल-ए-ज़ार सँभल के

ये बात तो नहीं है कि मैं कम स्वाद था

यम-ब-यम फैला हुआ है प्यास का सहरा यहाँ

रात सुनसान दश्त ओ दर ख़ामोश

पिंदार-ए-ज़ोहद हो कि ग़ुरूर-ए-बरहमनी

नाला-ए-ग़म शो'ला-असर चाहिए

मेरा शुऊ'र मुझ को ये आज़ार दे गया

मंज़िल के ख़्वाब देखते हैं पाँव काट के

मैं जो कुछ सोचता हूँ अब तुम्हें भी सोचना होगा

क्या क्या न ज़िंदगी के फ़साने रक़म हुए

कब तक रहूँ मैं ख़ौफ़-ज़दा अपने आप से

इस दश्त-ए-सुख़न में कोई क्या फूल खिलाए

इस दश्त पे एहसाँ न कर ऐ अब्र-ए-रवाँ और

हर क़दम पर नित-नए साँचे में ढल जाते हैं लोग

दस्तक हवा ने दी है ज़रा ग़ौर से सुनो

बदन पे पैरहन-ए-ख़ाक के सिवा क्या है

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