हिलाल फ़रीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हिलाल फ़रीद
नाम | हिलाल फ़रीद |
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अंग्रेज़ी नाम | Hilal Fareed |
जन्म स्थान | London |
उस अजनबी से वास्ता ज़रूर था कोई
पानी पे बनते अक्स की मानिंद हूँ मगर
पहले भी जहाँ पर बिछड़े थे वही मंज़िल थी इस बार मगर
न ही बिजलियाँ न ही बारिशें न ही दुश्मनों की वो साज़िशें
मिरी दास्ताँ भी अजीब है वो क़दम क़दम मिरे साथ था
जाम-ए-इश्क़ पी चुके ज़िंदगी भी जी चुके
जब वक़्त पड़ा था तो जो कुछ हम ने किया था
इस अक़्ल की मारी नगरी में कभी पानी आग नहीं बनता
हम ख़ुद भी हुए नादिम जब हर्फ़-ए-दुआ निकला
बाहर जो नहीं था तो कोई बात नहीं थी
अपने दुख में रोना-धोना आप ही आया
आज फिर दब गईं दर्द की सिसकियाँ
आज न हम से पूछिए कैसा कमाल हो गया
ये विसाल ओ हिज्र का मसअला तो मिरी समझ में न आ सका
वक़्त ने रंग बहुत बदले क्या कुछ सैलाब नहीं आए
वही हुआ कि ख़ुद भी जिस का ख़ौफ़ था मुझे
थी अजब ही दास्ताँ जब तमाम हो गई
सब कुछ खो कर मौज उड़ाना इश्क़ में सीखा
रुकने के लिए दस्त-ए-सितम-गर भी नहीं था
रास्ता देर तक सोचता रह गया
मुमकिन ही नहीं कि किनारा भी करेगा
कभी तो सेहन-ए-अना से निकले कहीं पे दश्त-ए-मलाल आया
हम ख़ुद भी हुए नादिम जब हर्फ़-ए-दुआ निकला
आँसू तो कोई आँख में लाया नहीं हूँ मैं
आँखों में वो ख़्वाब नहीं बसते पहला सा वो हाल नहीं होता