कभी ये फ़िक्र कि वो याद क्यूँ करेंगे हमें
कभी ख़याल कि ख़त का जवाब आएगा
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अक्स से अपने वो यूँ कहते हैं आईने में
दिल फ़ुर्क़त-ए-हबीब में दीवाना हो गया
न दर्द था न ख़लिश थी न तिलमिलाना था
हज़ार रंज हैं अब ये भी इक ज़माना है
वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा
आया भी कोई दिल में गया भी कोई दिल से
मुझे फ़रेब-ए-वफ़ा दे के दम में लाना था
कहेगी हश्र के दिन उस की रहमत-ए-बे-हद
मुझे वो याद करते हैं ये कह कर
तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है
वो ये कहते हैं ज़माने की तमन्ना मैं हूँ