ऐ हिज्र वक़्त टल नहीं सकता है मौत का
लेकिन ये देखना है कि मिट्टी कहाँ की है
Javed Akhtar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(904) Peoples Rate This
वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा
कहेगी हश्र के दिन उस की रहमत-ए-बे-हद
न दर्द था न ख़लिश थी न तिलमिलाना था
शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा
तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है
अक्स से अपने वो यूँ कहते हैं आईने में
कुछ मोहब्बत में अजब शेव-ए-दिल-दार रहा
क्या रश्क है कि एक का है एक मुद्दई
मुझे वो याद करते हैं ये कह कर
दिल फ़ुर्क़त-ए-हबीब में दीवाना हो गया