Sad Poetry of Hidayatullah Khan Shamsi
नाम | हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hidayatullah Khan Shamsi |
ज़िंदगी से मिली सौग़ात ये तन्हाई की
रास आई न मुझे अंजुमन-आराई भी
मिरे शाने पे रहने दो अभी गेसू ज़रा ठहरो
दोस्तों से तो किनारा भी नहीं कर सकता
दिल में इक शोर उठाते हैं चले जाते हैं
बहुत कठिन है डगर थोड़ी दूर साथ चलो
अपने कहते हैं कोई बात तो दुख होता है