मुझे तेरी जुदाई का ये सदमा मार डालेगा
मुझे तेरी जुदाई का ये सदमा मार डालेगा
ज़माने भर में रुस्वाई का चर्चा मार डालेगा
तुम्हारे नाम से जानाँ मिरा ये दिल धड़कता है
अब आओ हाथ रख दो वर्ना धड़का मार डालेगा
कोई ग़मगीन मिल जाए तो हँसना भूल जाता हूँ
किसी दिन ख़ैर-ख़्वाही का ये जज़्बा मार डालेगा
चराग़ों में लहू डालो है लड़नी जंग ज़ुल्मत से
वगरना अब उजालों को अंधेरा मार डालेगा
ज़मीं के सुर्ख़ मंज़र रात को सोने नहीं देते
किसी दिन मुझ को ये एहसास मेरा मार डालेगा
ज़मीं पर एड़ियाँ रगड़ो कि अब चश्मा कोई फूटे
बहुत ज़ालिम है दरिया हम को प्यासा मार डालेगा
समुंदर पार करना इश्क़ का आसाँ नहीं 'शम्सी'
भँवर से बच भी जाएँ तो किनारा मार डालेगा
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