Love Poetry of Heera Lal Falak Dehlvi
नाम | हीरा लाल फ़लक देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Heera Lal Falak Dehlvi |
रौशनी तेज़ करो चाँद सितारो अपनी
परतव-ए-हुस्न हूँ इस वास्ते महदूद हूँ मैं
पहुँचो गर इक चाँद पर सौ और आते हैं नज़र
नज़रों में हुस्न दिल में तुम्हारा ख़याल है
मिरा ख़त पढ़ लिया उस ने मगर ये तो बता क़ासिद
मैं तिरा जल्वा तू मेरा दिल है मेरे हम-नशीं
ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी
ये और बात है हर शख़्स के गुमाँ में नहीं
तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या
साक़िया ये जो तुझ को घेरे हैं
रौशन है फ़ज़ा शम्स कोई है न क़मर है
रंग-आमेज़ी से पैदा कुछ असर ऐसा हुआ
मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना
क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स
कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत
कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की
हो ख़ुदा का करम इरादों पर
दिल शादमाँ हो ख़ुल्द की भी आरज़ू न हो
अश्क-ए-ग़म वो है जो दुनिया को दिखा भी न सकूँ
आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के
आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई