रहें ग़म की शरर-अंगेज़ियाँ या-रब क़यामत तक
रहें ग़म की शरर-अंगेज़ियाँ या-रब क़यामत तक
'हया' ग़म से न मिलती गर कभी फ़ुर्सत तो अच्छा था
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