Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9e885aed474404798cd759d50375cdf3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न होती हाल-ए-दिल कहने की गर हिम्मत तो अच्छा था - हया लखनवी कविता - Darsaal

न होती हाल-ए-दिल कहने की गर हिम्मत तो अच्छा था

न होती हाल-ए-दिल कहने की गर हिम्मत तो अच्छा था

न सुनते काश वो शरह-ए-ग़म-ए-उल्फ़त तो अच्छा था

मिरी बेताबी-ए-दिल बढ़ गई है अल-अमाँ कितनी

निकलती गर न शौक़-ए-दीद की हसरत तो अच्छा था

वो राहत-बेज़ियाँ-ज़ारियाँ साबित हुई कितनी हुबाब-आसा

कभी होता न इत्माम-ए-शब-ए-फ़ुर्क़त तो अच्छा था

हुआ क्यूँ इल्तिफ़ात उन का बढ़ा क्यूँ हौसला मेरा

निहाँ फूलों में रहती आह गर निकहत तो अच्छा था

तमन्ना है फ़ुज़ूँ हों शोरिशें जज़्ब-ए-मोहब्बत की

दिल-ए-मुज़्तर की बढ़ती और भी वहशत तो अच्छा था

रहें ग़म की शरर-अंगेज़ियाँ या-रब क़यामत तक

'हया' ग़म से न मिलती गर कभी फ़ुर्सत तो अच्छा था

(703) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Na Hoti Haal-e-dil Kahne Ki Gar Himmat To Achchha Tha In Hindi By Famous Poet Haya Lakhnavi. Na Hoti Haal-e-dil Kahne Ki Gar Himmat To Achchha Tha is written by Haya Lakhnavi. Complete Poem Na Hoti Haal-e-dil Kahne Ki Gar Himmat To Achchha Tha in Hindi by Haya Lakhnavi. Download free Na Hoti Haal-e-dil Kahne Ki Gar Himmat To Achchha Tha Poem for Youth in PDF. Na Hoti Haal-e-dil Kahne Ki Gar Himmat To Achchha Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Na Hoti Haal-e-dil Kahne Ki Gar Himmat To Achchha Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.