ऐसे कुछ लोग भी मिट्टी पे उतारे जाएँ
ऐसे कुछ लोग भी मिट्टी पे उतारे जाएँ
देख कर जिन को ख़द-ओ-ख़ाल सँवारे जाएँ
एक ही वस्ल की तासीर रहेगी क़ाएम
कौन चाहेगा यहाँ साल गुज़ारे जाएँ
तेरे मिज़्गाँ हैं कि सूरत कोई क़ौसैन की है
दरमियाँ आ के कहीं लोग न मारे जाएँ
माही उस पार खड़ा आप की रह तकता है
आप ताज़ीम करें और किनारे जाएँ
अब मयस्सर नहीं कोई भी ठिकाना हम को
तुम बताओ कि कहाँ दोस्त तुम्हारे जाएँ
चंद शे'रों की ज़रूरत है उन्हें ख़ातिर-ए-दोस्त
वो ब-ज़िद हैं कि वो अशआर हमारे जाएँ
रौशनी चाहिए कुछ देर ज़रा और हमें
चाँद रुक जाए यहीं और सितारे जाएँ
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