Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_fe006f0ae7cbb5c58ef6fd400ab66132, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दुआ में ज़िक्र क्यूँ हो मुद्दआ का - हसरत मोहानी कविता - Darsaal

दुआ में ज़िक्र क्यूँ हो मुद्दआ का

दुआ में ज़िक्र क्यूँ हो मुद्दआ का

कि ये शेवा नहीं अहल-ए-रज़ा का

तलब मेरी बहुत कुछ है मगर क्या

करम तेरा है इक दरिया अता का

कहाँ तक नाज़ उठाए आख़िर ऐ हुस्न

हवस तेरे मिज़ाज-ए-ख़ुद सता का

नहीं मालूम क्या ऐ शाह-ए-ख़ूबाँ

तुझे कुछ हाल अपने मुब्तिला का

बजा-ए-इस्म-ए-आज़म आप का नाम

वज़ीफ़ा है मिरा सुब्ह ओ मसा का

ग़ज़ब का सामना है आशिक़ों को

दयार-ए-हक़ में अफ़वाज-ए-बला का

निसार उन पर हुए अच्छे रहे हम

तक़ाज़ा था यही ख़ू-ए-वफ़ा का

गुनहगारो चलो अफ़्व-ए-इलाही

बहुत मुश्ताक़ है अर्ज़-ए-ख़ता का

तिरी महफ़िल में अहल-ए-दिल को जल्वा

नज़र आ जाएगा शान-ए-ख़ुदा का

उठाया है मज़ा दिल ने बहुत कुछ

मोहब्बत के ग़म-ए-राहत-फ़ज़ा का

जफ़ा को भी वफ़ा समझो कि 'हसरत'

तुम्हें हक़ उन से क्या चून-ओ-चरा का

(2504) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dua Mein Zikr Kyun Ho Muddaa Ka In Hindi By Famous Poet Hasrat Mohani. Dua Mein Zikr Kyun Ho Muddaa Ka is written by Hasrat Mohani. Complete Poem Dua Mein Zikr Kyun Ho Muddaa Ka in Hindi by Hasrat Mohani. Download free Dua Mein Zikr Kyun Ho Muddaa Ka Poem for Youth in PDF. Dua Mein Zikr Kyun Ho Muddaa Ka is a Poem on Inspiration for young students. Share Dua Mein Zikr Kyun Ho Muddaa Ka with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.