Ghazals of Hasrat Mohani (page 2)
नाम | हसरत मोहानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hasrat Mohani |
जन्म की तारीख | 1875 |
मौत की तिथि | 1951 |
जन्म स्थान | Delhi |
क्या वो अब नादिम हैं अपने जौर की रूदाद से
क्या तुम को इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं आता
क्या काम उन्हें पुर्सिश-ए-अरबाब-ए-वफ़ा से
ख़ूब-रूयों से यारियाँ न गईं
ख़ू समझ में नहीं आती तिरे दीवानों की
कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म दीदा-ए-तर को क्या करूँ
जो वो नज़र बसर-ए-लुत्फ़ आम हो जाए
हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया
हुस्न-ए-बे-मेहर को परवा-ए-तमन्ना क्या हो
हम ने किस दिन तिरे कूचे में गुज़ारा न किया
हर हाल में रहा जो तिरा आसरा मुझे
हमें वक़्फ़-ए-ग़म सर-ब-सर देख लेते
हाइल थी बीच में जो रज़ाई तमाम शब
है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी
घटेगा तेरे कूचे में वक़ार आहिस्ता आहिस्ता
फ़ैज़-ए-मोहब्बत से है क़ैद-ए-मिहन
दुआ में ज़िक्र क्यूँ हो मुद्दआ का
दिल में क्या क्या हवस-ए-दीद बढ़ाई न गई
दिल को ख़याल-ए-यार ने मख़्मूर कर दिया
दीदनी हैं दिल-ए-ख़राब के रंग
देखना भी तो उन्हें दूर से देखा करना
दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर न हुई
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
छुप के उस ने जो ख़ुद-नुमाई की
चाहत मिरी चाहत ही नहीं आप के नज़दीक
बुत-ए-बे-दर्द का ग़म मोनिस-ए-हिज्राँ निकला
भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं
बेकली से मुझे राहत होगी
बरकतें सब हैं अयाँ दौलत-ए-रूहानी की
बदल-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार कहाँ से लाऊँ