Love Poetry of Hasrat Azimabadi (page 1)
नाम | हसरत अज़ीमाबादी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Hasrat Azimabadi |
जन्म की तारीख | 1727 |
मौत की तिथि | 1795 |
जन्म स्थान | Patna |
ज़ाहिदा किस हुस्न-ए-गंदुम-गूँ पे है तेरी निगाह
सौगंद है हसरत मुझे एजाज़-ए-सुख़न की
रहे है नक़्श मेरे चश्म-ओ-दिल पर यूँ तिरी सूरत
निभे थी आन उन्हों की हमेशा इश्क़ में ख़ूब
ना-ख़लफ़ बस-कि उठी इश्क़ ओ जुनूँ की औलाद
मोहब्बत एक तरह की निरी समाजत है
काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ ऐ शैख़ पे ज़िन्हार नहीं
इश्क़ में ख़्वाब का ख़याल किसे
इस जहाँ में सिफ़त-ए-इश्क़ से मौसूफ़ हैं हम
हक़ अदा करना मोहब्बत का बहुत दुश्वार है
बुरा न माने तो इक बात पूछता हूँ मैं
भर के नज़र यार न देखा कभी
यार इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-ज़ार ही रहा
या इलाही मिरा दिलदार सलामत बाशद
वफ़ा के हैं ख़्वान पर निवाले ज़े-आब अव्वल दोअम ब-आतिश
उस ज़ुल्फ़ से दिल हो कर आज़ाद बहुत रोया
सीना तो ढूँड लिया मुत्तसिल अपना हम ने
साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश
रखा पा जहाँ में नगारा ज़मीं पर
राह-रस्ते में तू यूँ रहता है आ कर हम से मिल
क़ासिद-ए-ख़ुश-फ़ाल लाया उस के आने की ख़बर
फिरी सी देखता हूँ इस चमन की कुछ हवा बुलबुल
न ग़रज़ नंग से रखते हैं न कुछ नाम से काम
न छुटा हाथ से यक लहज़ा गरेबाँ मेरा
मेरी उस प्यारी झब से आँख लगी
क्या कहूँ तुझ से मिरी जान मैं शब का अहवाल
करे आशिक़ पे वो बेदाद जितना उस का जी चाहे
कम-तर या बेशतर गए हम
कब तलक हम को न आवेगा नज़र देखें तो
जो हमें चाहे उस के चाकिर हैं