या इलाही मिरा दिलदार सलामत बाशद
या इलाही मिरा दिलदार सलामत बाशद
वो वली नेमत-ए-दीदार सलामत बाशद
नेक-ओ-बद से है मिरी ख़ातिर-ए-नाशाद आज़ाद
ग़म-गुसार अपना ग़म-ए-यार सलामत बाशद
न रखी दिल में हमारे तम-ए-ख़ाम-ए-विसाल
रश्क-ए-अग़्यार का आज़ार सलामत बाशद
गर न दे शर्बत-ए-उन्नाब मुझे वो लब-ए-लाल
इश्वा-ए-नर्गिस-ए-बीमार सलामत बाशद
ख़ाकसारों का कोई गो न हुए पुश्त-पनाह
सर पे वो साया-ए-दीवार सलामत बाशद
उस सग-ए-कू की नहीं कुछ मुझे मुद्दत से ख़बर
वो मिरा यार-ए-वफ़ादार सलामत बाशद
क़त्ल-ए-आशिक़ के तईं गो होवे यक शहर गवाह
वो तिरा नाज़ से इंकार सलामत बाशद
मर्द-ए-हक़ का रहे दुनिया में अलम-ए-नाम बुलंद
नहीं मंसूर अगर दार सलामत बाशद
यार की मेहर-ओ-मुरव्वत पे न रख दिल 'हसरत'
ये तिरा इश्क़ का इज़हार सलामत बाशद
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