क्या कहूँ तुझ से मिरी जान मैं शब का अहवाल
क्या कहूँ तुझ से मिरी जान मैं शब का अहवाल
तुझ पे रौशन है दिल-ए-वस्ल-तलब का अहवाल
हूँ मैं इक आशिक़-ए-बे-बाक ओ ख़राबाती ओ रिंद
मुझ से मत पूछ मिरे इल्म-ओ-अदब का अहवाल
दिल को ख़ाली करूँ रो रो के मगर मैं बे-कस
कौन सुनता है मिरे रंज-ओ-तअब का अहवाल
महरम-ए-राज़ नहीं मिलता कोई दर्द है ये
क्या तबीबों से कहूँ इश्क़ के तब का अहवाल
लुत्फ़ है सब से सज़ावार-ए-ग़ज़ब एक हूँ मैं
ख़ूब देखा जो तिरे लुत्फ़ ओ ग़ज़ब का अहवाल
ऐ मियाँ आज तो दो बात मिरी भी सुन ले
कहा चाहूँ हूँ मैं तुझ से भला कब का अहवाल
ज़ोर है जैसे कि निस्बत नमक ओ रीश के बीच
मैं ही समझूँ तिरी कैफ़िय्यत-ए-लब का अहवाल
नहीं दम मारने की मुझ को तिरे आगे मजाल
हाए सुनता है तू किस तरह से सब का अहवाल
क्या कोई ख़ुश हो मिरे शेर को सुन के 'हसरत'
दर्द-ए-दिल है ये नहीं ऐश-ओ-तरब का अहवाल
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