Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1e0cdb2d3f8c068c6b32d6bc7d41473d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
है रश्क-ए-वस्ल से ग़म-ए-दिलदार ही भला - हसरत अज़ीमाबादी कविता - Darsaal

है रश्क-ए-वस्ल से ग़म-ए-दिलदार ही भला

है रश्क-ए-वस्ल से ग़म-ए-दिलदार ही भला

राहत से ऐसी हम को वो दिल-आज़ार ही भला

दुनिया में यारो यार-ए-वफ़ादार ही नहीं

और जो न हो तो रहना है बे-यार ही भला

माशूक़ का नज़ारा मयस्सर हो या न हो

आशिक़ हमेशा तालिब-ए-दीदार ही भला

ज़ारी पे मेरी रहम भी कर आ ख़ुदा को मान

काफ़िर रहेगा हम से तू बेज़ार ही भला

अतवार-ए-बद है ग़ैर से ख़ुल्ता मिरे हुज़ूर

इस के एवज़ न कर तू हमें प्यार ही भला

ज़ख़्मों से ग़म के तेरा कलेजा तो छिल गया

बुलबुल है ऐसे गुल से तुझे ख़ार ही भला

इक जुरआ दर्द-ए-मय पे हो इतना न तल्ख़-ओ-तुंद

साक़ी मैं ऐसे मस्त से होश्यार ही भला

'हसरत' बुरा किया मैं उठाया दिल उस से क्यूँ

दिलदार गर न था तो दिल-आज़ार ही भला

(819) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hai Rashk-e-wasl Se Gham-e-dildar Hi Bhala In Hindi By Famous Poet Hasrat Azimabadi. Hai Rashk-e-wasl Se Gham-e-dildar Hi Bhala is written by Hasrat Azimabadi. Complete Poem Hai Rashk-e-wasl Se Gham-e-dildar Hi Bhala in Hindi by Hasrat Azimabadi. Download free Hai Rashk-e-wasl Se Gham-e-dildar Hi Bhala Poem for Youth in PDF. Hai Rashk-e-wasl Se Gham-e-dildar Hi Bhala is a Poem on Inspiration for young students. Share Hai Rashk-e-wasl Se Gham-e-dildar Hi Bhala with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.