Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a65b4be0f62996570522bce21fe83ca3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चाहे सो हमें कर तू गुनहगार हैं तेरे - हसरत अज़ीमाबादी कविता - Darsaal

चाहे सो हमें कर तू गुनहगार हैं तेरे

चाहे सो हमें कर तू गुनहगार हैं तेरे

तक़दीर थी अपनी कि गिरफ़्तार हैं तेरे

मरते हैं कभी आ के हमारी भी ख़बर ले

आह ऐ बुत-ए-बेदर्द ये बीमार हैं तेरे

नक़्द-ए-दिल-ओ-दीं मुफ़्त में दे बैठेंगे आख़िर

हम आशिक़-ए-मुफ़लिस कि ख़रीदार हैं तेरे

ख़्वाहिश है न बोसे की न आग़ोश से मतलब

दीदार के याँ सिर्फ़ तलबगार हैं तेरे

है रू-ए-ज़मीं अरसा-ए-महशर उन्हें हर रोज़

जो दिल-शुदा-ए-क़ामत-ओ-रफ़्तार हैं तेरे

हम वस्ल में और हिज्र में जलते रहे उन से

क्या दाग़-ए-जिगर ये गुल-ए-रुख़्सार हैं तेरे

सौगंद है 'हसरत' मुझे एजाज़-ए-सुख़न की

ये सेहर हैं जादू हैं न अशआर हैं तेरे

(830) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chahe So Hamein Kar Tu Gunahgar Hain Tere In Hindi By Famous Poet Hasrat Azimabadi. Chahe So Hamein Kar Tu Gunahgar Hain Tere is written by Hasrat Azimabadi. Complete Poem Chahe So Hamein Kar Tu Gunahgar Hain Tere in Hindi by Hasrat Azimabadi. Download free Chahe So Hamein Kar Tu Gunahgar Hain Tere Poem for Youth in PDF. Chahe So Hamein Kar Tu Gunahgar Hain Tere is a Poem on Inspiration for young students. Share Chahe So Hamein Kar Tu Gunahgar Hain Tere with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.