हसरत अज़ीमाबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हसरत अज़ीमाबादी
नाम | हसरत अज़ीमाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hasrat Azimabadi |
जन्म की तारीख | 1727 |
मौत की तिथि | 1795 |
जन्म स्थान | Patna |
ज़ुल्फ़-ए-कलमूँही को प्यारे इतना भी सर मत चढ़ा
ज़ाहिदा किस हुस्न-ए-गंदुम-गूँ पे है तेरी निगाह
उठूँ दहशत से ता महफ़िल से उस की
ता-अबद ख़ाली रहे या-रब दिलों में उस की जा
सौगंद है हसरत मुझे एजाज़-ए-सुख़न की
साक़िया पैहम पिला दे मुझ को माला-माल जाम
सज्दा-गाह-ए-बरहमन और शैख़ हैं दैर-ओ-हरम
रहे है नक़्श मेरे चश्म-ओ-दिल पर यूँ तिरी सूरत
निभे थी आन उन्हों की हमेशा इश्क़ में ख़ूब
ना-ख़लफ़ बस-कि उठी इश्क़ ओ जुनूँ की औलाद
मोहब्बत एक तरह की निरी समाजत है
मत हलाक इतना करो मुझ को मलामत कर कर
माख़ूज़ होगे शैख़-ए-रिया-कार रोज़-ए-हश्र
मैं 'हसरत' मुज्तहिद हूँ बुत-परस्ती की तरीक़त का
मय-कशी में रखते हैं हम मशरब-ए-दुर्द-ए-शराब
खेलें आपस में परी-चेहरा जहाँ ज़ुल्फ़ें खोल
काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ ऐ शैख़ पे ज़िन्हार नहीं
इश्क़ में ख़्वाब का ख़याल किसे
इस जहाँ में सिफ़त-ए-इश्क़ से मौसूफ़ हैं हम
हम न जानें किस तरफ़ काबा है और कीधर है दैर
हक़ अदा करना मोहब्बत का बहुत दुश्वार है
गुल कभू हम को दिखाती है कभी सर्व-ओ-समन
दुनिया का व दीं का हम को क्या होश
बुरा न माने तो इक बात पूछता हूँ मैं
भर के नज़र यार न देखा कभी
यार इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-ज़ार ही रहा
या इलाही मिरा दिलदार सलामत बाशद
वफ़ा के हैं ख़्वान पर निवाले ज़े-आब अव्वल दोअम ब-आतिश
उस ज़ुल्फ़ से दिल हो कर आज़ाद बहुत रोया
सीना तो ढूँड लिया मुत्तसिल अपना हम ने