हार कर बाज़ी फिर इक तदबीर हो जाऊँगा मैं

हार कर बाज़ी फिर इक तदबीर हो जाऊँगा मैं

तुम समझते हो यूँ ही तस्ख़ीर हो जाऊँगा मैं

इश्क़ में इस के सवा मैं कुछ नहीं कर पाऊँगा

हू-ब-हू जानाँ तिरी तस्वीर हो जाऊँगा मैं

साथ छूटेगा नहीं अपना सफ़र में उम्र के

रहगुज़र तू और तिरा रह-गीर हो जाऊँगा मैं

आयतें मंसूब हैं तुझ से रुमूज़-ए-इश्क़ की

और इन्ही आयात की तफ़्सीर हो जाऊँगा मैं

ग़म उठाता हूँ ग़ज़ल कहता हूँ जीता रहता हूँ

लोग कहते हैं कि इक दिन 'मीर' हो जाऊँगा मैं

(671) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Haar Kar Bazi Phir Ek Tadbir Ho Jaunga Main In Hindi By Famous Poet Hasnain Aaqib. Haar Kar Bazi Phir Ek Tadbir Ho Jaunga Main is written by Hasnain Aaqib. Complete Poem Haar Kar Bazi Phir Ek Tadbir Ho Jaunga Main in Hindi by Hasnain Aaqib. Download free Haar Kar Bazi Phir Ek Tadbir Ho Jaunga Main Poem for Youth in PDF. Haar Kar Bazi Phir Ek Tadbir Ho Jaunga Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Haar Kar Bazi Phir Ek Tadbir Ho Jaunga Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.