पहले सी अब बात कहाँ है
पहले सी अब बात कहाँ है
वो दिन और वो रात कहाँ है
बातें जैसे पतझड़ पतझड़
सोचों की बारात कहाँ है
सारे मौसम एक हुए हैं
वो रुत वो बरसात कहाँ है
उस का चेहरा जैसे सरसों
आँखों में वो बात कहाँ है
इक शब मैं ने ही पूछा था
ऐ रब तेरी ज़ात कहाँ है
क़र्या क़र्या जो लहराया
वो परचम वो हात कहाँ है
मैं बादल तू सहरा 'रिज़वी'
तेरा मेरा सात कहाँ है
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