Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_80716546ca5308663e7e3cfa2115d199, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है - हसन रिज़वी कविता - Darsaal

न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है

न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है

हमें फिर भी गुमाँ है वो हमीं से प्यार करता है

मैं उस के किस सितम की सुर्ख़ियाँ अख़बार में देखूँ

वो ज़ालिम है मगर हर ज़ुल्म से इंकार करता है

मुंडेरों से कोई मानूस सी आवाज़ आती है

कोई तो याद हम को भी पस-ए-दीवार करता है

ये उस के प्यार की बातें फ़क़त क़िस्से पुराने हैं

भला कच्चे घड़े पर कौन दरिया पार करता है

हमें ये दुख कि वो अक्सर कई मौसम नहीं मिलता

मगर मिलने का वादा हम से वो हर बार करता है

'हसन' रातों को जब सब लोग मीठी नींद सोते हैं

तो इक ख़्वाब-आश्ना चेहरा हमें बेदार करता है

(3028) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Na Wo Iqrar Karta Hai Na Wo Inkar Karta Hai In Hindi By Famous Poet Hasan Rizvi. Na Wo Iqrar Karta Hai Na Wo Inkar Karta Hai is written by Hasan Rizvi. Complete Poem Na Wo Iqrar Karta Hai Na Wo Inkar Karta Hai in Hindi by Hasan Rizvi. Download free Na Wo Iqrar Karta Hai Na Wo Inkar Karta Hai Poem for Youth in PDF. Na Wo Iqrar Karta Hai Na Wo Inkar Karta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Na Wo Iqrar Karta Hai Na Wo Inkar Karta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.