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चुप हैं हुज़ूर मुझ से कोई बात हो गई - हसन रिज़वी कविता - Darsaal

चुप हैं हुज़ूर मुझ से कोई बात हो गई

चुप हैं हुज़ूर मुझ से कोई बात हो गई

या फिर किसी से आज मुलाक़ात हो गई

ताज़ा लगी थी चोट कि मौसम बदल गया

और देखते ही देखते बरसात हो गई

यूँ तो दिए फ़रेब किसी और ने उन्हें

लेकिन गुनाहगार मिरी ज़ात हो गई

आए तो दिल में प्यार का चश्मा उबल पड़ा

और चल दिए तो दर्द की बोहतात हो गई

चुनते हो तीरगी में भी ताज़ा ग़ज़ल के फूल

क्या सोच तेरी वाक़िफ़-ए-हालात हो गई

हम ने किया सवाल तो वो चुप रहे 'हसन'

लो आज अपनी बात ख़ुराफ़ात हो गई

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