Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_eebda4d600c162e820e0c33cc1466098, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जुदाई भी क़राबत की तरह थी - हसन निज़ामी कविता - Darsaal

जुदाई भी क़राबत की तरह थी

जुदाई भी क़राबत की तरह थी

मगर साअ'त नहूसत की तरह थी

लिपट के सो गया मैं ज़िंदगी से

ग़ज़ब-नाकी इनायत की तरह थी

वो फ़ातेह था मगर जज़्बे से आरी

हमारी हार नुसरत की तरह थी

हिरन की आँख में दहशत थी ज़िंदा

मगर ये चश्म हैरत की तरह थी

गुज़ारी थी जो साअ'त साथ तेरे

नज़र में वो अमानत की तरह थी

यक़ीं करना गुमाँ के दाएरे में

तबीअ'त उस की औरत की तरह थी

अभी जो ख़ाक की पैवंद सी है

फ़लक-बोस इक इमारत की तरह थी

दुआ माँ की मुहाफ़िज़ थी नहीं तो

सऊबत भी क़यामत की तरह थी

(904) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Judai Bhi Qarabat Ki Tarah Thi In Hindi By Famous Poet Hasan Nizami. Judai Bhi Qarabat Ki Tarah Thi is written by Hasan Nizami. Complete Poem Judai Bhi Qarabat Ki Tarah Thi in Hindi by Hasan Nizami. Download free Judai Bhi Qarabat Ki Tarah Thi Poem for Youth in PDF. Judai Bhi Qarabat Ki Tarah Thi is a Poem on Inspiration for young students. Share Judai Bhi Qarabat Ki Tarah Thi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.