Hope Poetry of Hasan Nayeem
नाम | हसन नईम |
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अंग्रेज़ी नाम | Hasan Nayeem |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 1991 |
ख़ल्वत-ए-उम्मीद में रौशन है अब तक वो चराग़
कम नहीं ऐ दिल-ए-बेताब मता-ए-उम्मीद
जो मेरे दश्त-ए-जुनूँ में था फ़र्क़-ए-रू-ए-बहार
निदा-ए-तख़्लीक़
ख़ेमा-ए-याद
एक दरख़्त एक तारीख़
वो कज-निगाह न वो कज-शिआ'र है तन्हा
वो जो दर्द था तिरे इश्क़ का वही हर्फ़ हर्फ़-ए-सुख़न में है
उम्मीद ओ यास ने क्या क्या न गुल खिलाए हैं
सुब्ह-ए-तरब तो मस्त-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ गुज़र गई
रश्क अपनों को यही है हम ने जो चाहा मिला
क़ल्ब-ओ-जाँ में हुस्न की गहराइयाँ रह जाएँगी
न मेरे ख़्वाब को पैकर न ख़द्द-ओ-ख़ाल दिया
मुझ को कोई भी सिला मिलने में दुश्वारी न थी
मैं किस वरक़ को छुपाऊँ दिखाऊँ कौन सा बाब
कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे
ख़्वाब की राह में आए न दर-ओ-बाम कभी
ख़याल-ओ-ख़्वाब में कब तक ये गुफ़्तुगू होगी
ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है
जो ग़म के शो'लों से बुझ गए थे हम उन के दाग़ों का हार लाए
जंगलों की ये मुहिम है रख़्त-ए-जाँ कोई नहीं
इश्क़ के बाब में किरदार हूँ दीवाने का
गया वो ख़्वाब-ए-हक़ीक़त को रू-ब-रू कर के
दिल वो किश्त-ए-आरज़ू था जिस की पैमाइश न की
बिछ्ड़ें तो शहर भर में किसी को पता न हो
बयान-ए-शौक़ बना हर्फ़-ए-इज़्तिराब बना
बसर हो यूँ कि हर इक दर्द हादिसा न लगे
आरज़ू थी कि तिरा दहर भी शोहरा होवे
आँखों से टपके ओस तो जाँ में नमी रहे