ख़ल्वत-ए-उम्मीद में रौशन है अब तक वो चराग़
ख़ल्वत-ए-उम्मीद में रौशन है अब तक वो चराग़
जिस से उठता है क़रीब-ए-शाम यादों का धुआँ
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ख़ल्वत-ए-उम्मीद में रौशन है अब तक वो चराग़
जिस से उठता है क़रीब-ए-शाम यादों का धुआँ
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