Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6bc64dd3802c1bad83c5078e59f15576, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बे-इल्तिफ़ाती - हसन नईम कविता - Darsaal

बे-इल्तिफ़ाती

मैं ने हर ग़म में तिरा साथ दिया है अब तक

तेरी हर ताज़ा मसर्रत पे हुआ हूँ मसरूर

अपनी क़िस्मत के बदलते हुए धारों के सिवा

तेरी क़िस्मत के भँवर से भी हुआ हूँ मजबूर

तेरे सीने का हर इक राज़ बता सकता हूँ

मुझ में पोशीदा नहीं कोई तिरा सोज़-ए-दरूँ

फ़िक्र-ए-मानूस पे ज़ाहिर है हर इक ख़्वाब-ए-जमील

और हर ख़्वाब से मिलता है तुझे कितना सुकूँ

आज तक तू ने मगर मुझ से न पूछा है कभी

क्यूँ मिरे ग़म से तिरा चेहरा उतर जाता है?

जब मिरे दिल में लहकते हैं मसर्रत के कँवल

क्यूँ तिरा चेहरा मसर्रत से निखर जाता है?

(978) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Be-iltifati In Hindi By Famous Poet Hasan Nayeem. Be-iltifati is written by Hasan Nayeem. Complete Poem Be-iltifati in Hindi by Hasan Nayeem. Download free Be-iltifati Poem for Youth in PDF. Be-iltifati is a Poem on Inspiration for young students. Share Be-iltifati with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.