Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_38961cde03317c8d35bb20c4a26c0190, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वहशत-ए-जाँ को पयाम-ए-निगह-ए-नाज़ तो दो - हसन नईम कविता - Darsaal

वहशत-ए-जाँ को पयाम-ए-निगह-ए-नाज़ तो दो

वहशत-ए-जाँ को पयाम-ए-निगह-ए-नाज़ तो दो

इस फ़साने को ज़रा गर्मी-ए-आग़ाज़ तो दो

मेरे क़दमों के निशाँ राह से कुछ दूर सही

तुम से मैं दूर नहीं हूँ मुझे आवाज़ तो दो

दिल में तूफ़ान नहीं हो तो करे क्या नग़्मा

मैं सुनाता हूँ यही राग मुझे साज़ तो दो

कोई बुनियाद नहीं क़ैद-ए-तअ'ल्लुक़ की अभी

जज़्बा-ए-ग़म को ज़रा फ़िक्र का अंदाज़ तो दो

उस ने सीने से लगाया जो कहा मैं ने 'हसन'

दिल में रखने के लिए अपना कोई राज़ तो दो

(837) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wahshat-e-jaan Ko Payam-e-nigah-e-naz To Do In Hindi By Famous Poet Hasan Nayeem. Wahshat-e-jaan Ko Payam-e-nigah-e-naz To Do is written by Hasan Nayeem. Complete Poem Wahshat-e-jaan Ko Payam-e-nigah-e-naz To Do in Hindi by Hasan Nayeem. Download free Wahshat-e-jaan Ko Payam-e-nigah-e-naz To Do Poem for Youth in PDF. Wahshat-e-jaan Ko Payam-e-nigah-e-naz To Do is a Poem on Inspiration for young students. Share Wahshat-e-jaan Ko Payam-e-nigah-e-naz To Do with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.