Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1fcf2804adce1894bf266f8214e56a3c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मुझ को कोई भी सिला मिलने में दुश्वारी न थी - हसन नईम कविता - Darsaal

मुझ को कोई भी सिला मिलने में दुश्वारी न थी

मुझ को कोई भी सिला मिलने में दुश्वारी न थी

सब हुनर आते थे लेकिन अक़्ल से यारी न थी

जिन दिनों इख़्लास में थोड़ी सी अय्यारी न थी

हुस्न के दरबार में साबित वफ़ादारी न थी

सर-कशी के अहद-नामों की हिफ़ाज़त के लिए

मेरे क़ल्ब-ओ-जाँ से बेहतर कोई अलमारी न थी

जिन उसूलों के लिए जीना बहुत मुश्किल हुआ

उन की ख़ातिर जान दे देने में दुश्वारी न थी

हुस्न ही का वो इलाक़ा था जहाँ सब कुछ मिला

इश्क़ की अपनी अलग कोई ज़मीं-दारी न थी

सब परेशाँ हैं कि आख़िर किस वबा में वो मिरे

जिन को ग़ुर्बत के अलावा कोई बीमारी न थी

किस तरह बाद-ए-फ़ना से मैं बचा लेता उसे

उस ग़ज़ल पैकर में कोई फ़न की चिंगारी न थी

रोज़ इक मूज़ी को नेज़े पर उठाता था 'नईम'

इंक़िलाबी क़ुव्वतों की जब समझदारी न थी

(857) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mujhko Koi Bhi Sila Milne Mein Dushwari Na Thi In Hindi By Famous Poet Hasan Nayeem. Mujhko Koi Bhi Sila Milne Mein Dushwari Na Thi is written by Hasan Nayeem. Complete Poem Mujhko Koi Bhi Sila Milne Mein Dushwari Na Thi in Hindi by Hasan Nayeem. Download free Mujhko Koi Bhi Sila Milne Mein Dushwari Na Thi Poem for Youth in PDF. Mujhko Koi Bhi Sila Milne Mein Dushwari Na Thi is a Poem on Inspiration for young students. Share Mujhko Koi Bhi Sila Milne Mein Dushwari Na Thi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.