Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_75967d19e05d5c7c5e14fad3c84e33b6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हुस्न के सेहर ओ करामात से जी डरता है - हसन नईम कविता - Darsaal

हुस्न के सेहर ओ करामात से जी डरता है

हुस्न के सेहर ओ करामात से जी डरता है

इश्क़ की ज़िंदा रिवायात से जी डरता है

मैं ने माना कि मुझे उन से मोहब्बत न रही

हम-नशीं फिर भी मुलाक़ात से जी डरता है

सच तो ये कि अभी दिल को सुकूँ है लेकिन

अपने आवारा ख़यालात से जी डरता है

इतना रोया हूँ ग़म-ए-दोस्त ज़रा सा हँस कर

मुस्कुराते हुए लम्हात से जी डरता है

जो भी कहना है कहो साफ़ शिकायत ही सही

इन इशारात-ओ-किनायात से जी डरता है

हिज्र का दर्द नई बात नहीं है लेकिन

दिन वो गुज़रा है कि अब रात से जी डरता है

कौन भूला है 'नईम' उन की मोहब्बत का फ़रेब

फिर भी इन ताज़ा इनायात से जी डरता है

(979) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Husn Ke Sehr O Karamat Se Ji Darta Hai In Hindi By Famous Poet Hasan Nayeem. Husn Ke Sehr O Karamat Se Ji Darta Hai is written by Hasan Nayeem. Complete Poem Husn Ke Sehr O Karamat Se Ji Darta Hai in Hindi by Hasan Nayeem. Download free Husn Ke Sehr O Karamat Se Ji Darta Hai Poem for Youth in PDF. Husn Ke Sehr O Karamat Se Ji Darta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Husn Ke Sehr O Karamat Se Ji Darta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.